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User:Sachincsu

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i have written poems and shlokas. few of them are following. first one is poem in hindi named as na hi rukunga main, na hi rukunga main. on second there are sanskrit shlokas written by me in anushtup chand.

ना ही रुकूंगा मैं, ना ही झुकूंगा मैं

ना ही रुकूंगा मैं, ना ही झुकूंगा मैं।

निकालकर कांटे अपनी पगडंडियों के बढ़ता ही रहूंगा मैं।

जिम्मेदारियां अपने जीवन की निभाता हुआ चलूंगा मैं।

करदूं सर्वस्व न्यौछावर इस मातृभूमि के लिए इसी मां का लाल हूं मैं।

ना ही रुकूंगा मैं, ना ही झुकूंगा मैं।


खेत और खलियानों में, दुश्मन के मैदानों में।

काली रातों के अंधेरे में, आंधी और तूफानों में।

बढ़ाता रहूंगा कदम खाकर के गोलियां भी जंग के मैदानों में।

ना ही रुकूंगा मैं, ना ही झुकूंगा मैं।


मज़बूत करके अपने इरादे, सपनों को पूरा करूंगा मैं।

बढ़ाते हुए कदम अपनी मंज़िल की ओर ना ही थकूंगा मैं।

अवश्य ही आएगा वह दिन, जिस दिन विजय पताका लेकर चलूंगा मैं।

ना ही रुकूंगा मैं, ना ही झुकूंगा मैं।


श्लोकद्वयम्

 यथा सिञ्चति वृ‌क्षाणाम् उपवनस्य रक्षक:।

उपकारं च कुर्वन्ति आश्रमे गुरवस्तथा ।।१।।

 मूर्खाः विश्राममिच्छन्ति पण्डितास्तु परिश्रमम्।

लभन्ते मानसम्मानम् उद्यमेन यशस्तथा ।।२।।

                        - सचिनयादव
                          शिक्षाशास्त्रविद्याशाखा
                        के.सं.वि.(जम्मू-परिसरः)