User:Priya .puja/sandbox
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- ॥ रक्षाबंधन ॥*
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भारतीय संस्कृति में पारिवारिक एकता एक महत्त्व का परिबल है जिससे सामाजिक एकता टिकी रहती है। भारतीय ऋषि मुनियों ने उत्सवों का आयोजन किया इसके पीछे एक और कारण है 'पारिवारिक एकता की वृद्धि'। पारिवारिक एकता बढे ऐसे त्योहारों में से एक है रक्षाबंधन।
श्रावण शुक्ल पूर्णिमा का दिन पूरे भारत में रक्षाबंधन के पर्व के रूप में मनाया जाता है। भगवान विष्णु वामन अवतार में बलि राजा की भक्ति और समर्पण भाव से प्रसन्न होकर बलि राजा के समक्ष सदैव रहने का वचन देते हैं। भगवान विष्णु पुनः अपने धाम में उनकी पत्नी लक्ष्मीजी के पास रहे ऐसी भावना से लक्ष्मीजी ने बलि राजा को राखी बाँधी। बलि राजा ने भगवान को ४ महीने अपने पास और ८ महिने अपने धाम में निवास करें ऐसी भेंट लक्ष्मीजी को राखी बाँधने पर दी। इस प्रकार रक्षाबंधन का प्रारंभ हुआ।
दूसरी कथा भविष्यपुराण में आती है। एक बार देव और दानव का १२ साल तक महासंग्राम चला जिसमें दानवों ने इंद्र सहित देवों को परास्त किया। फिर से दोनों युद्ध करने के लिए तत्पर हो गए। उस समय इंद्र पत्नी इंद्राणी ने अपने पतिदेव इंद्र को रक्षाबंधन पर्व की महिमा कहकर रक्षासूत्र बाँधा था जिसके प्रताप से देवों ने दानवों को फिर से परास्त किया था।
महाभारत में कथा आती है कि, कुंताजी ने अर्जुन पुत्न अभिमन्यु की कलाई पर अमर रक्षा को बाँधा था। इस प्रकार भिन्न-भिन्न कथा से यह रक्षाबंधन पर्व का प्रारंभ हुआ है और इनकी स्मृति कर के यह पर्व हर्षोल्लास से मनाया जाता है। रक्षाबंधन भाई-बहन के निःस्वार्थ स्नेह का प्रतीक है।