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User:Frenchli

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                                                        नाटक का मूल्यांकन


प्रस्तावना -  आइए  हम नाटक के बारे में जानते हैं,
नाटक एक ऐसी प्रक्रिया है जो की लोगों के मनोरंजन में सहायक करती है पहले भी इसका उपयोग करते थे जिससे लोगों का मनोरंजन होता था। इस नाटक से उनका मन एकदम शांति की ओर बढ़ती है इसका उपयोग पहले भी राजा महाराजा जैसे व्यक्ति अपने राज्य में करवाते थे। और उसका आनंद लेते थे आज इस नाटक को मनोरंजन के साथ-साथ इससे कुछ संदेश भी पहुंचाना चाहते हैं यह परंपरा युगो युगो से  चलती आ रही है ।
मध्य भाग - नाटक एक कला होता है जिसके माध्यम से अपने कला का प्रदर्शन करते हैं जिसमें कई लोग मिलकर करते हैं और उनका अलग-अलग पात्र होता है। वे अपने-अपने समय पर अपना प्रदर्शन दिखलाते हैं उनकी कुछ रूप है, 
  मोहन, मोहन बोला पिताजी आप क्या कर रहे हैं हमको जरा बतलाएंगे ।

पिता, कुछ नहीं बेटा मैं बैठकर पत्र पढ़ रहा हूं कि आज क्या-क्या घटना हुआ है।

इस प्रकार नाटक में अपने-अपने कला का प्रदर्शन करते हैं और लोगों का मनोरंजन करते हैं उनके साथ-साथ वह समाज को कुछ बताना चाहते हैं कि इस नाटक का उद्देश्य क्या है। नाटक एक ऐसी कला जिसे करने के लिए कहीं भी थोड़ा सा भी जगह मिल जाता है वही अपने कला का प्रदर्शन करने लगते हैं जिससे वह समाज को बता सकें। एक अच्छी बात यह है की नाटक को हमारे अच्छे-अच्छे कवियों द्वारा लिखा गया है।

हम यह जानते हैं कि जो नाटक के पात्र होते हैं वह अपना प्रदर्शन करते हैं लेकिन उनका हम मूल्यांकन करते हैं कि वह कहां पर गलती किए हैं कहां पर कैसे बोले हैं कहां पर कैसे अपने बातों को रखे हैं और कैसे बोलने का तरीका था वह सब मूल्यांकन करना जरूरी होता है साथ में नाटक के पात्रों की कमियों को बताते हैं जिससे वह आगे और अच्छे से अपना प्रदर्शन कर सके जिससे वह आगे चलकर अच्छा कलाकार बन सके।

निष्कर्ष - नाटक की परंपरा युगों युगों से चलती आ रही है जिससे हमारी संस्कृति अभी तक बरकरार है जिसके कारण अभी इसका उपयोग इतना होते जा रहा है कि हर एक गांव में अपना संस्कृति को नहीं भूले हैं यह नाटक आगे चलकर और भी लोगों को जागरुक कर सकता है जिससे वह अपना बड़ा मुकाम हासिल कर सके। इससे केवल व्यक्तिगत का विकास नहीं होता है बल्कि समाज कभी उन्नति होती है।