Draft:वरिष्ठ स्वतंत्रता सेनानी गया प्रसाद सिंह
Submission declined on 14 December 2024 by Dcotos (talk). The submission appears to be written in Hindi. This is the English language Wikipedia; we can only accept articles written in the English language. Please provide a high-quality English language translation of your submission. Otherwise, you may write it in the Hindi Wikipedia.
Where to get help
How to improve a draft
You can also browse Wikipedia:Featured articles and Wikipedia:Good articles to find examples of Wikipedia's best writing on topics similar to your proposed article. Improving your odds of a speedy review To improve your odds of a faster review, tag your draft with relevant WikiProject tags using the button below. This will let reviewers know a new draft has been submitted in their area of interest. For instance, if you wrote about a female astronomer, you would want to add the Biography, Astronomy, and Women scientists tags. Editor resources
|
Submission declined on 14 December 2024 by Frost (talk). This is the English language Wikipedia; we can only accept articles written in the English language. Please provide a high-quality English language translation of your submission. Have you visited the Wikipedia home page? You can probably find a version of Wikipedia in your language. Declined by Frost 7 days ago. |
वरिष्ठ स्वतंत्रता सेनानी गया प्रसाद सिंह मंत्री-भोजपुरा जिला स्वतंत्रता सेनानी संघ अध्यक्ष- सन्देश प्रखण्ड स्वतंत्रता संग्राम सेनानी संघ
गया प्रसाद सिंह बिहार के एक स्वतंत्रता सेनानी थे जो स्वतंत्रता आंदोलन के प्रति अपने साहस, दृढ़ता और समर्पण के लिए जाने जाते थे. गया प्रसाद सिंह का जनम बिहार के संदेश प्रखण्ड अंतरगत अहपुरा गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम जीत सहाय सिंह था। जो मध्यम वर्गिये किसान थे। गया प्रसाद सिंह का जन्म 23 अगस्त 1917 को अहपुरा गांव में हुआ था। इन्होनें अपनी शिक्षा 6वी तक कोईलवर में की इसके बाद इन्होनें अपना योगदान आजादी की लड़ाई में देना शुरू कर दिया. महज 17 वर्ष की आयु में भारत माता को आजाद कराने के लिए आजादी की लड़ाई में कूद गए थे. इन्होने भारत माँ को आज़ाद कराने के लिए दिन रात एक करदी थी। इन्होनें नमक सत्याग्रह में हिस्सा किया और अम्बारी सत्याग्रह में डॉ. राजेंद्र प्रसाद के साथ समर्थन किया। जिनके लिए इनको अनेको बार जेल भी जाना पड़ा। इन्होनें डॉ. राजेंद्र प्रसाद के साथ 1.5 साल, हज़ारीबाग सेंट्रल जेल में बिताया। हज़ारीबाग सेंट्रल जेल में गया बाबू को टीवी रोग हो गया था तब राजेंद्र प्रसाद ने इनका इलाज करवाया था। राजेंद्र प्रसाद इन्हें अपना छोटा भाई मानते थे। उस समय जय प्रकाश नारायण, अनुग्रह नारायण सिंह सब लोग साथ थे. हज़ारीबाग सेंट्रल जेल में राजनीतिक कैदी के रूप में मिली सुविधाओ के बावज़ूद जेल से भाग निकले और रेल मार्ग से काशी पहुंच कर मदन मोहन मालवीय से मुलाकात की और उनके साथ आजादी का प्रदर्शन करने लगे. तब अंग्रेजों को पता लग गया कि गया सिंह काशी में है तो इन्होने ने अपना भेस बदल कर एक घर में नौकर का काम 3 साल तक किया,और अपनी पहचान छुपा के बताते थे. अंग्रेजो को पता लगने पर उनको गया बाबू को बांकीपुर जेल भेज दिया गया जहां फ़िर से मुलाकात डॉ. राजेंद्र प्रसाद से हुई। 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में इन्होनें महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। अंग्रेजों ने इनपे देख और शूट का ऑर्डर जारी कर दिया था तब 1942 में संदेश थाना और पोस्ट ऑफिस को जलाकर भारत का तिरंगा फहरा दिया और भारत माता की जय बोलके नदी में कूद के भाग निकले। इनके साहस के लिए कई राजनीतिक दलों और मंत्रियों ने इन्हें सम्मानित किया है। पूरे शाहाबाद जिले के स्वतंत्रता सेनानी संघ के मंत्री थे। और संदेश प्रखण्ड स्वतंत्रता सेनानी संगठन के अध्यक्ष थे. इनकी वीरता के लिए राष्ट्र की ओर से प्रधान मंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने 1972 में ताम्र पत्र का सम्मान किया था। बिहार सरकार ने चंपारण सत्याग्रह पुरस्कार और अन्य पुरस्कार से भी पूरा पुरस्कार दिया है। भारत के बिजली मंत्री आर.के सिंह ने भी सम्मान दिया था। और कई राजनीतिक पार्टियों ने सम्मान किया. गया प्रसाद सिंह आज की पीढ़ी के लिए बहुत प्रेरणादायक है.
107 वर्ष ली आयु मे 4 जनवरी 2024 को नायक गया प्रसाद सिंह जी ने अंतिम सास ली और उनका पार्थिव शरीर राष्ट्रीय सम्मान के साथ तिरंगे में लिपटा हुआ उनके घर लाया गया।